रांची :
झारखंड के लिए यह बेहद ही गौरवपूर्ण बात है कि झारखंड की पहली महिला राज्यपाल द्रौपदी मुर्मू अब राष्ट्रपति के उम्मीदवार भी हैं। भाजपा ने अपनी तरफ से इसकी घोषणा कर दी है की द्रौपदी मुर्मू एनडीए की तरफ से उम्मीदवार होंगी। मंगलवार की शाम ही इस बात की घोषणा की गई। द्रौपदी मुर्मू ने 18 मई 2015 को झारखंड में नौवें राज्यपाल के रूप में योगदान देना शुरू किया था और 18 मई 2020 को उनका कार्यकाल पूरा हुआ। लेकिन फिर कोरोना काल आ गया जिस कारण नयी नियुक्ति नहीं होने पर उनके कार्यकाल का स्वत: विस्तार हो गया।
किसी ने सोची भी नहीं था यह
बीजेपी की पार्लियामेंट्री बोर्ड की मीटिंग में लगभग 20 नामों पर चर्चा की गई, लेकिन जो चेहरा सबके सामने आया उसने सभी को चौंका दिया। द्रौपदी मुर्मू एक ऐसा नाम जो किसी ने सोचा भी नहीं था। एक आदिवासी (Tribal) चेहरा जो पहली बार राष्ट्रपति पद के लिए रेस में है। अगर द्रौपदी मुर्मू ये चुनाव जीत जाती हैं तो भारत के इतिहास में पहली बार होगा कि कोई आदिवासी राष्ट्रपति बनेगा।
अपना दायित्व अच्छी तरह से निभाया
द्रौपदी मुर्मू ने झारखंड में अपने दायित्व को बहुत अच्छे से निभाया है वह कभी किसी विवाद में नहीं रही हैं। जनजातीय मामलों, शिक्षा, कानून व्यवस्था व स्वास्थ्य को लेकर हमेशा सजग रही हैं। द्रौपदी मुर्मू ने पांचवीं अनुसूची के तहत अपना दायित्व अच्छी तरह से निभाया। भाजपा की सरकार में ही सीएनटी-एसपीटी संशोधन विधेयक वापस की. इसके अलावा टीएसी से भी संबधित संचिका आपत्ति के साथ लौटा दी थी। खूंटी में पत्थलगड़ी की समस्या के समाधान के लिए अथक प्रयास किया।
क्या रहा है राजनीतिक सफर
द्रौपदी मुर्मू का जन्म 20 जून 1958 को ओडिशा के मयूरगंज जिले के बैदपोसी गांव में हुआ। उनके पिता का नाम बिरांची नारायण टुडु है। वे आदिवासी जातीय समूह, संथाल से संबंध रखती हैं।
द्रौपदी सिंचाई और बिजली विभाग में 1979 से 1983 तक जूनियर असिस्टेंट के तौर पर काम कर चुकी हैं। वर्ष 1994 से 1997 तक उन्होंरे रायरंगपुर के श्री अरबिंदो इंटीगरल एजुकेशन सेंटर में ऑनरेरी असिस्टेंट टीचर के तौर पर भी सेवाएं दीं। द्रौपदी का बचपन गरीबी और अभावों के बीच बीता। ऐसी स्थिति में भी संघर्ष करते हुए उन्होंने ऊंचाइयों को छुआ। उन्होंने बीए तक शिक्षा हासिल की है।
वर्ष 2000 और 2004 में द्रौपदी मुर्म बीजेपी के टिकट पर रायरंगपुर सीट से विधायक चुनी गई थीं। वे बीजेपी एसटी मोर्चा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य भी रह चुकी हैं।ओडिशा में बीजेडी और बीजेपी गठबंधन सरकार में द्रौपदी मंत्री रह चुकी हैं। उन्होंने मार्च 2000 से कई 2004 तक राज्य के वाणिज्य व परिवहन तथा मत्स्य और पशु संसाधन विकास विभाग के मंत्री का पद संभाला। वर्ष 2007 में द्रौपदी को ओडिशा विधानसभा के बेस्ट एमएलए ऑफ द ईयर पुरस्कार से नवाजा गया था।
द्रौपदी मुर्म झारखंड की ऐसी पहली राज्यपाल थीं जिन्होंने वर्ष 2000 में इस राज्य के गठन के बाद पांच वर्ष का कार्यकाल पूरा किया। उन्होंने वर्ष 2015 से 2021 तक झारखंड के राज्यपाल का पद संभाला। द्रौपदी मुर्म यदि राष्ट्रपति पद का चुनाव जीतती है (एनडीए के संख्या बल को देखते हुए जिसकी पूरी संभावना है) तो वे देश की पहली आदिवासी राष्ट्रपति होंगी। जीतने की स्थिति में ओडिशा राज्य से देश के शीर्ष पद तक पहुंचने वाली वे पहली शख्सियत होंगी।